“ विश्व शान्ति मानव एकता व अध्यात्मिक सदभावना का प्रकाश पुन्ज” विश्व सदभावना मंदिर सप्तरोवर हरिद्वार २४९४०१ उत्तराखण्ड भारत संस्थापक --- परमहंस ब्रह्म्ऋषि आचर्य पुष्पराज जी विश्व सद्भावना मंदिर परम पवित्र पावन गंगा के तट पर सप्तसरोवर रोड हरिद्वार मे स्थापना की है। जिसमे समस्त देवी-देवताओ की संगमरमर की मोहनी मूर्तियां प्रतिष्ठित है। जिसमे समस्त धर्म समुदाय के लोग बिना किसी भेद – भाव के अपने-अपने अराध्य कि अर्चना कर शांति व मुक्ति प्राप्त कर सकते है।
हमारे पूज्य गुरुदेव परम हंस ब्रह्मऋषि आचार्य पुष्पराज जी महाराज महान त्याग मूर्ति आध्यात्मिक बाल ब्रह्मचारी योगी संत थे। गुरूदेव महान ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा,आयुर्वेदाचार्य योगी संत थे। उनके जीवन का उद्देश्य मानव समाज की सेवा व कल्याण करना था। उनका जन्म १७ अप्रैल १९२९ रामनवमी पुण्य नक्षत्र में माता फुला देवी पिता श्री आसकरण जी के घर में गंगा शहर बीकानेर राजस्थान में हुआ था। ९ वर्ष की आयु में " त्याग एवं ही सर्वेषा मुक्ति साधना मुक्तमम " सभी के लिए त्याग ही मुक्ति का प्राप्ति का उत्तम साधन है।
इसी से ही प्रेरणा लेकर गुरुदेव के मन में त्याग की भावना जाग्रित हुई तो उन्होंने परम श्रद्धेय आचार्य श्री तुलसी गणी जी के श्री सानिध्य में अणुव्रत संघ में जुड़ गए।
पीठाधीश पारसमुनि (हरिद्वार)
गुरुदेव के आशीर्वाद से धुलिया(महाराष्ट्र) में एक आश्रम की स्थापना हुई। पारसमुनि को गुरुदेव के दिशा निर्देश और आशीर्वाद से भक्तजनो के कार्य व रोग मुक्त हुए है। यह गुरुदेव का ही आशीर्वाद है कि जो कार्य मैने सपने में भी नही सोचे वह पूर्ण हुये। जैसे- आश्रम के सामने गंगा तट पर घाट निर्माण कार्य होना। ऐसे अनेक चमत्कार गुरुदेव के देवागमन के बाद उनकी कृपा से हुए है।
पीठाधीश अनुपमुनि (दिल्ली) अनूपमुनि आयुर्वेदाचार्य, एक्यूप्रेशर, हस्तरेखा, व जन्मकुंडली का अध्ययन, आदि आश्रम में होता है। दमा, शुगर, गठिया, कैंसर इत्यादि असाध्य रोगों का इलाज किया जाता है।