VishvSadbhavana Mandir

Prediction of Guru ji


गम्भीर रोगों की चिकित्सा करने के साथ –साथ आचार्य पुष्पराज जी समय – समय पर महत्वपूर्ण भविष्यवाणी भी करते है। गुरु जी की भविष्यवाणीयों से लोंगो को चौकना स्वभाविक था। क्योकि २० जून १९७५ को उन्होने भविष्यवाणी की थी कि कुछ ही दिनो मे भारत मे इमरजेंसी लगने वाली है और २ वर्ष तक देश मे भारी आराजकता फैलेगी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हारना पड़ेगा व १९७७ मे पुन: स्वतंत्रता का वातावरण बनेगा। उसी के छठवें दिन २६ जुन को इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई थी। १२ जूंन १९८० को आचार्य पुष्पराज जी ने स्व. संजय गाँधी को सतर्क करते हुये कहा था कि २३ जून को वह पद यात्रा करेंगे क्योकि उस दिन उसकी जान को खतरा हो सकता है। उन्होने संजय गाँधी को सुझाव दिया था कि उस दिन वह घर मे ही रहे । लेकिन संजय ने उनके निर्देश की चिंता नही की और २३ जून की सुबह कैप्टन सुभाष सक्सेना के साथ हवाई जहाज उड़ानें पहुँच गये । परिणाम सबको मालूम है। आचार्य पुष्पराज ने स्व. इंदिरा गाँधी को पत्र लिख कर सूचित किया था कि ४,२२,२३,३१ अक्टूबर को उनके निवास मे ही उन पर गोलियाँ चल सकती है। अत: उस दिन वह घर से न निकले। उन्होने यह नभी लिख कर दिया था कि उक्त तारीखें उनके लिये इतनी घातक है कि यदि गोली उनके निवास मे नही चली और वह विदेश मे हुयी तो गोली वहा भी चलेगी। अनेको भविष्यवाणीया की थी जो ज्यादा सटीक व सच सबित हुयी।




VIRAT HINDU CONVENTION



विराट हिन्दु सम्मेलन विश्व कि यह प्रथम घटना है जबकि लंदन जैसी मोह मायी नगरी मे इतनी बडी़ मानव मेदनी भारी बरसात एव भीषण शीतल पवन के बौछरो के बावजूद छाता लिये ओऽम कार नगर मे “हिंदु जगे विश्व जगे” भव्य नारों द्वारा आकाश गुनित हो गया है।ऐसे विराट हिंदु सम्मेलन मे भाग लेने आये हुये सहस्त्रों व्यक्तियों के मुख से नारा सुनने को मिल रहा था। विरात हिंदु सम्मेलन मे आचर्य पुष्पराज जी ने “ब्रह्मर्षि नगर” विराट हिंदु सम्मेलन के प्रधान महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानन्द जी के तत्वाधानी से एकता यज्ञ सम्पन्न होने के पश्चात १००००० से भी अधिक मानव मेदनी को सम्बोधित करते हुये एकता मंच पर ब्रह्मर्षि आचार्य पुष्पराज ने अपने सुलभे हुये भाषण मे कहा- आज परम प्रस्न्नता का विषय है कि हम लाखो कि संखया मे लंदन जैसी भुमि मे हिंदुत्व की समस्याओं के समबन्ध मे चिंतन करने के लिये एकत्रित हुये है।हम हाथ कि उंगलियाँ है जो आकर प्रकार से भिन्न होते हुये भी एक साथ जुड़े हुये है । हिंदु संस्कृति किसी एक विशेष व्यक्ति को ,किसी विशेष चिन्ह को , किसी विशेष ग्रंथ को स्वीकार नही करते है। हम सभी सद्भावना मे विस्वाश करते है। आचार्य जी ने अपने भाषण मे चमत्कारी घोषणा भी की “सम्पूर्ण विश्व मे हिंदु राज स्थापित होगा”

आचार्य जी को १३ अप्रैल १९८८ मे” आचार्य” की उपाधि से world spritual sangh श्री मस्ताना जी ने दी थी। आचार्य जी “गुरु जी” के नाम से प्रसिद्ध हुये । उन्हें ब्रह्मर्षि , परमहंस , आदि उपाधि प्राप्त हुई थी। गुरुदेव ने १९६७ मे एक “विश्व सद्भावना परिषद् ” नामक संस्था का गठन किया तब से वह संस्था सामाजिक कार्य व मानव सेवा का कार्य करती आयी है। सन्‌ १९९१ मे गुरुदेव ने पवित्र पावन गन्गा के तट पर हरिद्वार सप्तसरोवर मे “विश्व सद्भावना मंदिर ” कि स्थाप्ना की है। जिसमे सभी देवी-देवताओ की मोहनी मूर्तिया प्रतिष्ठित है। जिसमें सभी धर्म सम्प्रदाय के लोग बिना किसी भेदभाव के अपने अराध्या की अर्चना कर शांति एवं मुक्ति प्राप्त कर सकते है। अभी इस मंदिर मे २५ कमरे व ४ हाल है २०० व्यक्तियों को एक साथ भोजन (प्रसाद लन्गर) पा सके इतना बड़ा स्थान है तथा निशुल्क चिकित्सालय,पुस्त्कालय , वाचनालय आदि बने हुये है। गुरुदेव के आशीर्वाद से हरिद्वार मे “विश्व सद्भावना मंदिर” के सामने गंगा तट पर दो घाट “सद्भावना किरण घाट ” , “सदभावना तुलसी घाट ” बनाया गया है तथा रोज गंगा घाट पर गंगा मां की आरती व प्रसाद वितरित होता है।१०० संतो को रोज अन्नक्षेत्र भंडारा वितरित किया जाता है। घाट पर सभी देवी – देवताओं की मुर्ति लगी हुयी है। विश्व सद्भावना मंदिर मे गरीब व्यक्तियों , संतो का भोजन आदि कराया जाता है। गरिब छत्रो कि पढ़ाई मे, लड़की की शादी मे आर्थिक सहायता , प्रकृति प्रकोप मे वस्त्र, अनाज , व दवा वितरित कर रही है। “शुभ कर्म करने वाला कभी डरता नही है । अश्रु उसकि आँख से गिरता नही है। सत्कर्म करने वाले को युग भूलता नही है। संसार की निगाहों मे वह कभी मरता नही है।” २६ फरवरी १९९७ की ज्योत का न्यूयार्क अमेरिका मे समापन हुआ।